Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2013

बेईमान शायर

पहली दो पंक्तियाँ श्रीमान सचिन तेंदुलकर को समर्पित करते हुए... देखा है लड़कपन को मैने ,रफ़्तारों से सौदा करते, [साभार youtube] देखी है आकुलता मैने ,चालिस की आँखों से झरते, देखी है दृढ़ता भावों मे, देखा है पौरुष का तांडव,  देखी है भागीरथ की क्षमता, देखा है अविचलित मानव, पर शीश झुकाए निकल पॅडू,  जब सीधी समतल  राहों पर, तुम मेरे शिथिल इरादों को, हिम्मत का ना वास्ता देना. मैं एक "बेईमान शायर" हूँ, मेरे ख़यालों को ना रास्ता देना. बड़ी पैनी नज़रों से मैने, ढूंढी जीवन की सार्थकता, कुछ  कम मादक सी लगी मुझे ,जाने क्यों  मधु की मादकता, मृग मरीचिका सी लगी मुझे खुशियों की हर एक खोज  प्रिय,  भौतिकतावादी  दलदल मे ,फँसती धँसती सी  सांसारिकता.  किंतु मन मेरा जो उड़ कर, वापिस जा बैठे नोटों पर, मेरी अपसारित चिंतन को , बुद्धा का ना वास्ता देना, मैं एक "बेईमान शायर" हूँ, मेरे ख़यालों को ना रास्ता देना. बड़ा रोचक लगता है मुझको लोगों के जीवन मे तकना, लोगों की पीड़, प्रयत्नो से अपने  अनुभव घट को भरना  , स्याही मे लिपटे अफ़साने पुलकित कर