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Showing posts from 2007

कल की तलाश

कल को कल देखेंगे , चलो आज को निपटाते हैं, वक़्त के इरादों को कहाँ देखा है हमने , चलो इस पल में ही जी जाते हैं... कल जो आज के लिए सोचा था हमने, आज वो हम बिलकुल नहीं हैं .. फिर कल के लिए सपने संजोते , आज बिताना कितना सही है?? आज जो मिठास है इन खवाबो में, कल करवाहट बन जायेगी .. ये मजे देती अनकही ख्वाहिशे , कल अतीत की टीस बन जायेगी .. फिर क्यों इन लम्हों की जवानी को उस कल पर कुर्बान करते हैं , जो "कल " अपनी ही जुबां से , अपनी बेवफाई का एलान करते हैं ...

वो हसीं तन्हाई

अतीत की लकीरों से उभरती हुई, इक हसीं सी तस्वीर में सिमटी हुई , जब मिलती है वो मुझसे, जैसे दूर कहीं समंदर में , नज़र आये एक धुंधली कसती , वक़्त के पैमानों में , जैसे पुराने शराब की मस्ती , दिल में एक मीठी सी आहट, बेचैन लम्हों में एक अजीब सी राहत , उजाले में कहीं गम हो जाने का एहसास , अजनबी चेहरों में किसी खास की तलाश , जैसे करवाते बदलती लम्हों की वीरानियाँ ! वो शरारतों भरी बचपन की कहानियाँ , वो चटपटे दर्द के भारी भरकम पल, गलतियों के बीच छटपटाते बीते कल, खुद से दूर महसूस होती है वर्तमान की परछाई, नहीं पहचाना ?? "मेरी हसीं तन्हाई" ..............